शिमला, सुरेंद्र राणा: करुणामूलक संघ के जिला प्रधान विकास कुमार बिलासपुर जिला गांव पंजगाई से संबंध रखते थे !! जो कि काफी लंबे समय से करुणामूलक नौकरी बहाली के लिए प्रयासरत थे ! ओर 20 सालो से अपने पिता की नौकरी कि चाह की जद्दोजहद में आज भगवान के चरणों में विलीन हो गए !
प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में भी करुणामूलक संघ द्वारा ( शिमला) कालीबारी मंदिर के समीप एक रेन शेड में किए गए 432 दिनों के देश के सबसे बड़े धरने में उनका विशेष योगदान था !
लेकिन दुख की बात है कोई भी सरकार इन परिवारों को न्याय नहीं दे पाई! विकास कुमार के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे ! और नौकरी के दौरान उनकी मृत्यु 2003 में हो गई! इन 20 सालों से कितनी सरकारें आई और गई लेकिन इन परिवारों को न्याय नहीं मिल पाया ! क्या गलतियां हैं इन परिवारों की इनके माता या पिता एक सरकारी कर्मचारी थे और नौकरी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई यह कैसा न्याय है !!
उन्होंने कहा कि ऐसी लाचार व्यवस्था इन प्रदेश सरकारों की रही जोकि 20 सालों से करुणामूलक आधार की नौकरी इन आश्रितों को नहीं दे पाई !! इसका जिम्मेदार कौन है ! क्या इन परिवारों को एक वोट बैंक का जरिया ही समझा जाता है !
विकास घर में कमाने वाला सिर्फ एक ही था उसके परिवार के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया ! इसी प्रकार 6 महीने पहले रोहड़ू से अनिल कुमार की मृत्यु हो गई जो कि एक करुणामूलक आश्रित था उनका भी केस 2002 का था।
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