पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: पंजाब सरकार ने एक अगस्त से 10 ऐसे कीटनाशकों को बनाने, स्टोर करने, डिस्ट्रीब्यूशन और बेचने पर पाबंदी लगा दी है, जिनका उपयोगी बासमती धान की बिजाई और उसके बाद फसल को तैयार करने में किया जाता था। इन कीटनाशकों में ऐसफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, हेक्जाकोनोजोल आदि प्रमुख हैं।
बासमती चावल तैयार होने पर इन कीटनाशकों के विषैले तत्वों का असर पाए जाने के बाद 60 दिनों के लिए ये पाबंदी लगाई गई है। खाड़ी देशों से लेकर कई यूरोपियन देशों में पंजाब से भेजी गई बासमती में कीटनाशकों का असर पाया गया। वहां से कई बार पंजाब से भेजे गए बासमती चावल के कन्साइनमेंट को कैंसिल कर वापस भेजा जा चुका है। ऐसा बार-बार होने पर कई देशों ने भारत से, खासकर पंजाब से मंगवाए जाने वाले बासमती पर रोक भी लगा रखी है। भारत सरकार ने भी इस संबंध में पंजाब सरकार को सूचित कर रखा है। इन सभी हालात को देखते हुए ही ये पाबंदी लगाई गई है।
सरकार ने सुझाव दिया है कि बासमती फसल की सुरक्षा के लिए इन कीटनाशकों के विकल्प अपनाए जा सकते हैं, जिनमें विषैले तत्वों की मात्रा काफी कम होती है। ये कीटनाशक पंजाब के बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं।
एमआरएल लेवल काफी अधिक पाया गया
पंजाब से भेजे गए बासमती चावल में मैक्सिमम रेजीड्यूल लेवल (एमआरएल) से काफी अधिक पाए जाने के बाद ये कार्रवाई तेजी से की गई है। पंजाब में वैसे ही देश में प्रति एकड़ सर्वाधिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। बासमती पर भी जरूरत से ज्यादा कीटनाशकों का छिड़काव पाया गया है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने भी राज्य में बासमती में कीटों के हमलों को कंट्रोल करने के लिए कई अन्य कीटनाशकों के उपयोग की सिफारिश की है।
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