पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: पंजाब स्कूल एजुकेशन विभाग ने उन स्कूलों के प्रिंसिपलों को नोटिस जारी करना शुरू कर दिया है जो कि दिए गए लक्ष्यों के अनुसार सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला नहीं बढ़ा पाए। जिला बठिंडा के संगत ब्लॉक के प्राइमरी एजुकेशन ऑफिसर ने 6 स्कूलों के प्रिंसिपल्स को कारण बताओ नोटिस जारी कर 10 दिनों में जवाब देने के लिए कहा है कि क्यों न आपके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए।
साल की शुरुआत में शिक्षा विभाग ने प्री-प्राइमरी (पीपी-1 और पीपी2) कक्षाओं में बच्चों का दाखिला 10% बढ़ाने का लक्ष्य दिया था। दाखिलों की समीक्षा के लिए 30 जून को डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (एलीमेंट्री एजुकेशन) ने आंकड़ों को खंगाला तो संगत ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में दाखिले लक्ष्य से काफी कम मिले। नोटिस में कहा कि आंकड़ों से स्पष्ट है कि आपने दाखिला बढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और न कोई कदम उठाया। आप ने ड्यूटी में लापरवाही दिखाई है।
नोटिस में इन स्कूलों के इंचार्ज को कहा गया है कि आपको नोटिस के बाद 10 दिन में दाखिला पूरा कर लेते हैं तो ये कारण बताओ नोटिस खारिज हो जाएगा और दाखिला नहीं होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। नोटिस में सीधा सीधा लिख गया है कि ‘ऐसा करके आपने आपको पंजाब सिविल सेवाओं (सजा और अपील) नियामवली, 1970 की धारा 10 के तहत सजा का भागी बना लिया है।
10 दिन में जवाब ने देने पर प्रमोशन, इंक्रीमेंट पर असर, ट्रांसफर हो सकता है
नोटिस का जवाब 10 दिन में न देने या संतोषजनक जवाब न होने पर प्रिंसिपलों का इंक्रीमेंट रोकने या कम करने, प्रमोशन आदि रुक सकता है। कुछ मामलों में ट्रांसफर भी किया जा सकता है।
इन स्कूल प्रिंसिपलों को नोटिस
1. कुलविंदर कौर गहरी बुट्टर
2. हरदीप कुमार त्यौणा
3. सुमित कुमार चक्क अतर सिंह वाला
4. जगदीश कुमार चक्क रूल्दू सिंह वाला
5. पवन कुमार मल्लेवाला
6. तनुज कुमार रायके कलां
कई स्कूलों ने जानबूझ कर नहीं दिया दाखिला, ऐसी बहुत सी शिकायतें मिलीं
Q. स्कूल इंचार्ज को इस तरह के नोटिस क्यों दिए जा रहे हैं?
-कई स्कूलों में बच्चों को दाखिला जानबूझ कर नहीं दिए जाने की शिकायतें मिली थी, उन्हीं मामलों की जांच के बाद कार्रवाई की जा रही है।
Q. बठिंडा के अलावा क्या अन्य जिलों में भी इस तरह की शिकायतें मिली हैं?
-बठिंडा के अलावा मोहाली और कुछ अन्य जिलों में भी ऐसी शिकायतें मिली हैं, जिनमें परिवार अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में करवाना चाहते थे और वे स्कूल भी गए लेकिन उनको दाखिला दिया ही नहीं गया। ऐसे मामले जानकारी में आने के बाद ही मैंने जांच के लिए कहा था और अब सभी जिलों में इस तरह के मामलों को देखा जा रहा है।
Q. स्कूलों में दाखिला देने से इनकार क्यों किया गया?
-शायद टीचर्स बच्चों की संख्या बढ़ाना नहीं चाहते थे क्योंकि इससे उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती। कई मामलों में प्रवासी परिवारों के बच्चों को भी दाखिला नहीं दिया गया। मामला गंभीर होने के चलते ही इस तरह की कार्रवाई की जा रही है।
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