वाटर सेस देने को राजी नहीं हिमाचल के ऊर्जा उत्पादक, सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल

शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा उत्पादक वाटर सेस देने को राजी नहीं हैं। शनिवार को राज्य सचिवालय में सुबह 10 से शाम 5 बजे तक चार चरणों में हुई अलग-अलग श्रेणी के उत्पादकों के साथ बैठक में अधिकांश उत्पादकों ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।

25 मेगावाट से कम क्षमता वाली परियोजनाओं के उत्पादकों ने साल 2008 में हुए फैसलों को गलत ठहराते हुए वाटर सेस देने से साफ इनकार किया। केंद्र सरकार के उपक्रमों समेत बड़ी ऊर्जा परियोजनाओं के प्रतिनिधियों ने भी सेस नहीं देने की हामी भरी। कुछ उत्पादकों ने वाटर सेस की दरें घटाने की पैरवी की। ऊर्जा सचिव राजीव शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक की रिपोर्ट को अब राज्य मंत्रिमंडल को भेजा जाएगा।

बोनाफाइड पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि 25 मेगावाट से कम क्षमता वाली बिजली परियोजनाओं से वाटर सेस नहीं दिया जा सकता। हमारे साथ हुए सरकार के करार में इसका कोई उल्लेख नहीं है। हमारी आर्थिक स्थिति भी वाटर सेस देने के लिए अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि साल 2008 में सरकार को दी जाने वाले निशुल्क बिजली को 6, 12 और 18 फीसदी से बढ़ाकर 12, 18 और 30 फीसदी किया गया। इस दौरान कई बिजली परियोजनाओं के उत्पादकों ने इसका विरोध किया था। इस फैसले के लिए आवंटित परियोजनाएं शुरू नहीं हो सकी। 14 साल बाद सरकार को इन आवंटित परियोजनाओं को रद्द करना पड़ा।

अब वाटर सेस लगाकर सरकार दोबारा से ऊर्जा उत्पादकों की परेशानियों को बढ़ाने जा रही है। अगर हालात ऐसी ही रहे तो चालू परियोजनाएं भी बंद करनी पड़ेंगी। उधर बड़ी परियोजनाओं के उत्पादकों ने भी वाटर सेस को लेकर विरोध दर्ज कराया। भारत सरकार के उपक्रमों के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस बारे में केंद्र के कहने पर ही आगामी फैसला लिया जाएगा। यही कारण है कि अभी तक एसजेवीएन ने इस बाबत अपना पंजीकरण भी नहीं कराया है। बैठक में जलशक्ति विभाग, वित्त विभाग और विधि विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।

28 जून को हाईकोर्ट में दी जानी है रिपोर्ट

वाटर सेस के खिलाफ कई ऊर्जा उत्पादकों ने हाईकोर्ट में केस किया है। 28 जून को मामले की सुनवाई होनी है। सरकार को वाटर सेस मामले में कोर्ट में पक्ष रखना है। इसी कड़ी में शनिवार को ऊर्जा उत्पादकों की नब्ज टटोलने के लिए बैठक का आयोजन किया गया। बिजली परियोजनाओं से वसूले जाने वाले वाटर सेस के मामले के लिए सरकार ने ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। सरकार के पास वाटर सेस एक्ट के तहत 125 उत्पादकों ने पंजीकरण करवाया है। 25 ऊर्जा उत्पादक ऐसे भी हैं, जिन्होंने पंजीकरण करवाने के साथ हाईकोर्ट में भी केस किया है।

 

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