शिमला, सुरेंद्र राणा: प्रदेश के अंदर पेंशनर्स को सरकार ने तीन श्रेणियों में बांट दिया है। पहला पेंशनर्स जो 31 दिसंबर 2015 तक सेवानिवृत हुए हैं। दूसरे वह है जो 1.1. 16 से 30 दिसंबर 2021 तक रिटायर हुए हैं। तीसरे वह है जो 1.1. 22 के बाद रिटायर हुए। पहले और तीसरे ग्रुप के सेवानिवृत अधिकारियों कर्मचारियों को समान लाभ मिले है। दोनों ग्रुपों की रिवाइज स्केल पर पेंशन की फिक्सेशन हो चुकी है और जो वित्तीय लाभ भी अधिकतर दे दिए गए। लेकिन 1.1. 16 से 31 दिसंबर 21 तक रिटायरमेंट हुई है उनकी हालत सरकार ने बहुत ज्यादा खराब कर रखी है। इस दौरान सेवानिवृत हुए लोगों का 15 से 25 लाख तक की राशि सरकार के पास है।
इनकी फिक्सेशन की फाइलें अभी तक एजी ऑफिस से ही नहीं आई है और कई तो सचिवालय में लटकी पड़ी है। उनकी ग्रेच्युटी की आधी राशि जो कि 10 लाख बनती है सरकार के पास पड़ी है।वन्ही लीव एनकैशमेंट की लाखों रुपए की राशि सरकार ने रोक रखी है ।
कंयूटेशन की राशि का लाखों रुपया बनता है उसको रिलीज करने का भी कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। रिवीजन के बाद का जो एरियर बनना है उसका भी लाखों रुपया सरकार ने रोक रखा है।
सेवानिवृति के बाद कर्मचारीयों के पास अपने परिवार संचालन के लिए कोई दूसरा आर्थिक साधन तो होता नहीं है। रिटायरमेंट के बाद हर व्यक्ति की अपनी अपनी फाइनेंसियल लायबिलिटीज होती है ।
बच्चों की पढ़ाई, बच्चों की शादी, बच्चों को सेटल करना, मकान की किस्ते, मकान खरीदना यह सब बहुत बड़ी फाइनेंसियललायबिलिटी ज होती है। मगर खेद की बात है कि अगला रिवीजन होने के लिए मात्र 2 साल बाकी रह गए हैं मगर हम अभी तक अपना पिछला कमाया हुआ धन ही प्राप्त नहीं कर पाए।
इस स्थिति को देखते हुए मजबूर होकर पहली बार हिमाचल प्रदेश सचिवालय पेंशनर्स कल्याण संघ का गठन करने का निर्णय लेना पड़ा। आज तक ऐसी जरूरत पड़ी नहीं थी
सभी पेंशनर्स को इस बात को ध्यान में रखना पड़ेगा कि पूरे देश में इस समय कर्मचारियों के प्रति जो नकारात्मक सोच पैदा कर दी गई है उसके दृष्टिगत हम सब को सतर्क और संगठित होने की जरूरत है।
4 जुलाई को कार्यकारिणी के गठन के बाद पेंशनर्स अपनी मागों को लेकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे। यह जो पेंशनर्स के अंदर ग्रुप क्रिएट करके डिस्क्रिमिनेशन पैदा की गई है सबसे पहले इसको तुरंत प्रभाव से समाप्त करने के साथ ही 1.1.16 से 31दिसंबर 21 तक के पेंशनरों की जो फिक्सेशन लटकी हुई है उसको तुरंत प्रभाव से करवाने की मांग की जाएगी और ग्रेच्युटी, कॉम्यूटेशन और लीव एनकैशमेंट की राशि को तुरंत रिलीज करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम किया जाएगा। यह पहला कदम होगा।
उसके बाद मामलों की गंभीरता को देखते हुए 11 परसेंट डी ए जोकि सेंट्रल गवर्नमेंट ने करोना काल में रोक रखा था उसको पे फिक्सेशन के लिए कर्मचारी के टोटल एमोल्यूमेंट्स में जोड़कर दोबारा फिक्सेशन की करवाई शुरू करवाई जाएगी।
इस दौरान कई सेवानिवृत कर्मचारी व अधिकारीयों की मौत भी हो गई है लेकिन उनका परिवार आज भी इन लाभों से वंचित है। प्रदेश के कर्मचारी प्रदेश के विकास में अपने सेवाकाल के दौरान महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। कर्मचारियों का प्रदेश में सत्ता को लाने और सतासीन दलों को सत्ता से बाहर करने में योगदान रहता हैं ऐसे में इस सरकार ने मेरी जवानी सेवानिवृत्त कर्मचारियों की इन मांगों को अनसुना किया तो इसका खामियाजा उन्हें भी भुगतान पड़ेगा।
+ There are no comments
Add yours