कर्ज लेना हिमाचल सरकार की मजबूरी, आर्थिक बदहाली से गुजर रही हिमाचल सरकार को केंद्र से मदद की दरकार। 

शिमला, सुरेन्द्र राणा: 5000 करोड़ के कर्जे तले दबे हिमाचल प्रदेश को कर्ज से उभारने के लिए केंद्र सरकार से ही आस बची है, लेकिन केंद्र ने हिमाचल के कर्ज में 5000 करोड़ की कटौती कर दी है साथ ही अन्य प्रोजेक्ट भी रोक लिए हैं। जिसको लेकर हिमाचल प्रदेश सरकार अब सख्ते में है। कांग्रेस सरकार बननेे के बाद से लगातार आर्थिक बदहाली का रोना रोया जा रहा है।

उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने कहा की कांग्रेस सरकार बनने के पहले दिन से ही आर्थिक तंगी से जूझ रही है। पिछली जय राम ठाकुर सरकार के वितीय कुप्रबंधन की वजह से प्रदेश 75000 करोड़ के घाटे में है। ऊपर से केन्द्र सरकार ने कर्ज की सीमा को पांच हज़ार करोड़ कम कर दिया। कर्ज लेना सरकार की मजबूरी है। साढ़े आठ हजार करोड़ के प्रोजेक्ट केंद्र में लटके पड़े है। हम तो केन्द्र सरकार पर निर्भर है। सरकार हर क्षेत्र में राजस्व को बढ़ाने का काम कर रहे है। मुख्यमंत्री लगातार सरकारी खर्चों में कमी कर केन्द्र से मांग कर रहे है कि हिमाचल की हिस्सेदारी दी जाए।

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