पंजाब/हरियाणा: हरियाणा में अपात्रों, मृतकों व अस्तित्वविहीन लोगों को पेंशन बांटने के मामले में साल 2011 की रिपोर्ट के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी है। नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि दोषियों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।
आरटीआई कार्यकर्ता राकेश बैंस ने एडवोकेट प्रदीप रापड़िया के माध्यम से याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट को पेंशन वितरण घोटाले की जानकारी दी थी। याची ने बताया कि कैग रिपोर्ट के अनुसार पेंशन वितरण में बड़ा घोटाला हुआ। याची ने कहा कि उन्हें हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से कोई उम्मीद नहीं है। इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाई जाए।
इस मामले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने अदालत को बताया कि अपात्रों से 45,17,223 रुपये की वसूली की जा चुकी है तथा 6722 लोगों से 7,57,57085 रुपये की वसूली लंबित है। राज्य के विभिन्न जिलों के समाज कल्याण अधिकारी (डीएसडब्ल्यूओ) के रूप में कार्यरत सात जिला स्तरीय अधिकारियों समेत नौ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है।
12 साल में पूरे प्रदेश में सिर्फ 10 एफआईआर
एसीबी के डीजी शत्रुजीत कपूर ने बताया कि प्रदेश के सभी एसपी से पेंशन घोटाले के मामले में दर्ज एफआईआर की जानकारी मांगी गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं। हाईकोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि पिछले एक दशक से अधिक समय से यह मामला संज्ञान में होने के बावजूद केवल 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जो यह दर्शाता है कि अधिकारी इस मामले की जांच में कितना गंभीर हैं।
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