पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: देश में रोजगार न मिलने के कारण प्रदेश के युवाओं पर इन दिनों विदेश जाने का जुनून चढ़ा है। भारी-भरकम राशि खर्च कर युवा विदेश पहुंच रहे हैं। कैथल जिले के बात करे तो जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां अब काफी कम संख्या में युवा गांव में रह गए हैं। गांवों में तो कई घर ऐसे हैं। जिनमें से दो-तीन युवा विदेश चले गए हैं।
कई युवक शादी कराने के बाद बच्चों को भी साथ ले गए हैं और घर पर अब बूढ़े मां-बाप ही रह रहे हैं। हालांकि बुजुर्गों को अकेला रहना मुश्किल हो रहा है और हर समय बेटे, पोता-पोती की उन्हें याद सताती रहती है। लेकिन खुशी इस बात की है। बेटा विदेश में जाकर कामयाब हो गया।
जिला के धेरढू, प्रेमपुरा, जगदीशपुरा, कवातरन सहित चीका एरिया के कई गांव ऐसे हैं, जहां से 50 से 70 प्रतिशत युवा विदेश जा चुके हैं। इस मामले में धेरढू गांव तो सबसे आगे है। महिला सरपंच कुसुम देवी के पति रिशिपाल बताते हैं कि 300 घरों वाले इस गांव से 500 युवा जिनमें महिलाएं भी शामिल है। अमेरिका, इटली, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, जर्मनी आदि देशों में जा चुके हैं। गांव में अब वही युवा रह रहे हैं, जो पढ़ रहे या फिर कोई नौकरी कर रहा है।
ग्रामीण धर्मपाल बताते हैं कि उनके सभी 4 बेटे व एक पोता विदेश में रह रहा है। पिछले दिनों जब वह बीमार हुआ तो एक बेटे को गांव बुलाना पड़ा। अब वह उसको विदेश नहीं भेजेगा, क्योंकि उन्हें घर पर कोई संभालने वाला नहीं हैं।
प्रेमपुरा की महिला सरपंच के पति सतनाम सिंह का कहना है कि गांव से 200 से अधिक युवा विदेश जा चुके हैं, युवाओं में विदेश जाने का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। इसका बड़ा कारण यहां रोजगार नहीं मिल पाना और युवाओं के मन में रुपए की बजाएं डॉलर कमाना है ताकि ज्यादा कमाई की जा सके।
बुजुर्ग दंपती एक-दूसरे का सहारा
धेरढू रिटायर्ड हेड टीचर गुलाब सिंह व उनकी पत्नी कई साल से गांव में अकेले रह रहे हैं। इकलौता बेटा 16 साल से बच्चों के साथ ऑस्ट्रेलिया में रह रहा है। वहां की नागरिकता भी मिल चुकी हैं। बुजुर्ग दंपती ही अब एक-दूसरे का सहारा हैं।
गुलाब सिंह कहते हैं कि उसका बेटा मैट्रिक करते ही चला गया था। वहां वह कामयाब हो गया। लेकिन कई बार जब बेटा व उसके बच्चे याद आते हैं तो महसूस होता है कि अपना घर ही सही है। गुलाब कहते हैं कि विदेश जाओ, पैसा कमाओ 10-15 साल बाद वापस देश आ जाओ। उन्हें कई बार महसूस हुआ जब गांव में कई व्यक्तियों की मौत हुई तो बेटे कंधा देने के लिए भी घर नहीं आ पाए।
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