चंडीगढ़, सुरेंद्र राणा: एससी/एसटी एक्ट में पत्रकार भावना किशोर की गिरफ्तारी के मामले में एफआईआर को राजनीतिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक उस राजनेता को पक्ष नहीं बनाया जाता जिस पर आरोप है इस दलील पर आगे सुनवाई नहीं होगी।
सोमवार को लंबी बहस के बाद जस्टिस दीपक सिब्बल ने इस मामले में शनिवार को सुनवाई करने वाली बेंच के पास ही इस याचिका को भेजने का निर्णय लेते हुए याचिका मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दी।
एफआईआर को खारिज करने की मांग को लेकर पत्रकार भावना किशोर व अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान याची पक्ष ने इस पूरे मामले को राजनीतिक करार दिया।
कोर्ट को बताया गया कि जिस समाचार चैनल के लिए वह काम कर रहीं, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 45 करोड़ रुपये की लागत से उनके आधिकारिक आवास के निर्माण/पुनर्निर्माण के लिए रिपोर्टिंग कर रहा है। जवाबी हमले के रूप में चैनल को सबक सिखाने के लिए झूठा मामला दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता निर्दोष है और उन्हें फंसाया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान याची ने कहा कि जब वह पीड़ित को जानती ही नहीं थी तो कैसे उसकी जाति के बारे में जानकारी हो सकती थी। ऐसे में उसके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला बनता ही नहीं है। साथ ही याची की गिरफ्तारी भी गलत तरीके से की गई और उसे देर रात मजिस्ट्रेट के सामने केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए पेश किया गया था।
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि शनिवार को हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम तौर पर भावना को जमानत दे दी थी लेकिन वाहन चला रहे ड्राइवर व चैनल के कैमरामैन को जमानत नहीं दी गई थी। सरकार ने कहा कि जमानत के लिए सीधे तौर पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। ऐसे में भावना को दी गई अंतरिम जमानत समाप्त करने की अपील की और अन्य दो आरोपियों की अंतरिम जमानत का विरोध किया।
भावना की अंतरिम जमानत मंगलवार तक रहेगी जारी
सोमवार देर शाम जस्टिस एजी मसीह की कोर्ट में चीफ जस्टिस की मंजूरी के बाद मामला सुनवाई को पहुंचा। पंजाब सरकार की ओर से इस मामले में जवाब दाखिल किया गया और इस दौरान चली बहस के बाद कोर्ट ने मंगलवार को फिर से सुनवाई का आदेश दिया है। इसके साथ ही भावना की अंतरिम जमानत को भी मंगलवार तक बढ़ा दिया।
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