पंजाब दस्तक, सुरेन्द्र राणा: जींद के रेलवे रोड निवासी 31 साल वर्षीय अमन गुप्ता सूडान की राजधानी खार्तूम में अपनी पत्नी दीक्षिता गुप्ता और ढाई वर्षीय बेटी के साथ पिछले पांच साल से रह रहे हैं। वह सूडान की राजधानी खार्तूम में एक निजी कंपनी में काम करते हैं। गृह युद्ध चलने के कारण वह पिछले छह दिनों से घर के अंदर ही कैद हैं।
घर में जो राशन था वह लगभग खत्म हो चुका है। बस थोड़ी सी नमकीन बची है। बिजली आ-जा रही है। चारों तरफ धुआं ही धुआं दिखाई दे रहा है। उनकी बेटी कुछ दिनों से बीमार है और उसे चिकित्सा की आवश्यकता है, लेकिन उनके लिए कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने खार्तूम में भारतीय दूतावास से संपर्क किया, लेकिन वह भी कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं।
अमन के पिता वीरेंद्र गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार शाम तीन बजे उनकी बेटे अमन से बात हुई। वहां कुछ ही अच्छा नहीं है। उनको निकलने की कोई जगह नहीं है। स्थानीय लोग भी उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने दिल्ली में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बात की है और उनसे सूडान में फंसे बेटे के परिवार को निकालने का अनुरोध किया, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
अमन गुप्ता ने रोते हुए फोन पर सूचना दी कि पिछले छह दिनों से बम की बौछार हो रही है। शुक्रवार दोपहर को उनके मकान के लगे एक बिल्डिंग पर बम आ गिरा, जिससे वह धराशाही हो गई। छह दिनों से वह घुट-घुटकर जी रहे हैं।
अब उनके पास खाने को भी नहीं बचा है। बच्ची बीमार है, लेकिन दूध नहीं मिल रहा है। वह कई दिनों से कुछ नहीं खा रही है। वह लगातार दूतावास से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन वो बार-बार यही कह रहे हैं कि वह अभी कुछ नहीं कर सकते।
+ There are no comments
Add yours