शिमला, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश में निराश्रित बच्चे चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट कहलाएंगे। राज्य विधानसभा में इस बारे में सुखाश्रय विधेयक -2023 पेश किया जाएगा। सदन में इसे पारित करने का प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश के गोसदनों के गोवंश को मंदिरों से जोड़ा जाएगा। ये फैसले मंगलवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए।
कैबिनेट ने निर्णय लिया कि सुखाश्रय विधेयक में अनाथ बच्चों से संबंधित सीएम की अब तक की सभी घोषणाएं शामिल होंगी। अनाथ बच्चों की प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा, आश्रमों में देखरेख, उनके विवाह के लिए दो लाख रुपये, पॉकेट मनी और घूमने-फिरने का खर्च देने, त्योहारों में वित्तीय मदद, मकान के लिए जमीन देने का प्रावधान इस कानून में शामिल होगा। सुखाश्रय कोष के 101 करोड़ रुपये की एफडी की जाएगी। इसका ब्याज इन बच्चों पर खर्च होगा। इस कोष को बढ़ाया जा सकता है।
कैबिनेट ने गोसदनों में रह रहे गोवंश को राज्य के मंदिरों से जोड़ने का निर्णय लिया है। इन मंदिरों से होने वाली आय का कुछ हिस्सा गोवंशों के चारे आदि पर खर्च होगा। गोशालाएं हिमाचल प्रदेश गोवंश आयोग से पंजीकरण होंगी।
पंजीकृत गोशालाओं को आयोग वित्तीय मदद देगा। सरकारी के साथ निजी गोशालाओं पर भी सख्ती से नियम लागू होंगे। कैबिनेट ने निर्णय लिया कि नादौन में एचआरटीसी का डिपो खोला जाएगा।
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