पंजाब दस्तक: कोरोना काल में संक्रमण से मरने वालों के दाह संस्कार में भी घोटाला कर दिया गया। जहां दाह संस्कार को लेकर दिए जाने वाले पैसों में गड़बड़ी की गई, वहीं मरने वालों की संख्या में भी बड़ी गड़बड़ी नजर आई है। पैसों के लालच में नगर निगम अधिकारियों ने नियमों को दरकिनार किया। जिन कर्मचारियों के नाम से पैसे जारी किए गए, श्मशानघाट के पुजारियों ने उनमें सिर्फ एक को ही पहचाना। इस पूरे मामले की प्राथमिक चरण की जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने पंचकूला नगर निगम के छह अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। अब इस मामले की गहन पड़ताल की जाएगी।
जहां रिकॉर्ड को और खंगाला जाएगा, वहीं यह भी देखा जाएगा कि इसमें किसी अन्य अधिकारी या कर्मचारी की मिलीभगत तो नहीं है। दाह संस्कार के लिए 5 सदस्यीय टीम का गठन किया जाना था, लेकिन 10 कर्मचारियों की टीम बनाई गई। यहां तक कि कुछ वक्त तो 14 कर्मचारियों को टीम में शामिल कर 31.34 लाख रुपए का भुगतान किया गया। इनमें 20.72 लाख रुपए कर्मचारियों के सीधे खाते में डाला गया।
सरकार के निर्देशों की अवमानना…निर्देश था कि शवों के दाह संस्कार को 5 मेंबरी टीम गठित हो, 14 कर्मचारी तक दिखा दिए
विजिलेंस ब्यूरो ने शिकायत मिलने के बाद 2020 में मामले की जांच शुरू की थी। आरोप था कि कोरोना काल में संक्रमित शवों के दाह संस्कार के नाम पर नगर निगम कर्मचारियों को फर्जी भुगतान किया गया। जब जांच शुरू की गई तो सामने आया कि सरकार का निर्देश था कि संक्रमित शवों के दाह संस्कार के लिए 5 सदस्यीय टीम का गठन किया जाए।
लेकिन उप निगम आयुक्त की सिफारिश पर 10 सदस्यों की टीम गठित की गई। यहां तक कि कुछ वक्त 14 कर्मचारी तक दिखाए गए। दाह संस्कार के लिए प्रत्येक कर्मचारी को दो हजार रुपए दिए जाने तय किए गए। ब्यूरो ने जांच के लिए न केवल नगर निगम बल्कि श्मशानघाट तक पुजारियों के बयान लिए। दर्ज केस के अनुसार पुजारियों ने अपने दिए बयान में सिर्फ वहां दाह संस्कार करने वालों में सुरेंद्र कुमार उर्फ छिंदा को पहचाना है।
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