नॉन हिमाचली को बड़ी राहत:अब 3 के बजाय 5 साल में करना होगा लैंड यूज; धारा-118 में संशोधन

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पंजाब दस्तक ब्यूरो: हिमाचल प्रदेश में धारा 118 के तहत विभिन्न प्रोजेक्ट या घर बनाने के लिए जमीन लेने वालों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। हिमाचल मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम 1972 की धारा-118 में संशोधन को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति की हरी झंडी के बाद सरकार ने इसे नोटिफाइ कर दिया है।

इस संशोधन के बाद अब कोई भी नॉन हिमाचली 3 साल के बजाय 5 साल में खरीदी गई जमीन का इस्तेमाल (लैंड यूज) करना होगा। राज्य की पूर्व जयराम सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के मकसद से बीते साल विधानसभा के मानसून सत्र में एक्ट में संशोधन को बिल लाया।

इसका मकसद लैंड यूज की 3 साल की सीमा को बढ़ाकर 5 साल करना था। एक्ट में संशोधन को मंजूरी के बाद अब पांच साल में लैंड यूज करना होगा।

इससे विभिन्न प्रोजेक्ट, घर या धार्मिक प्रतिष्ठान बनाने के लिए जमीन लेने वालों को राहत मिलेगी, क्योंकि वर्तमान में तीन साल की शर्त की वजह से कई लोग तय समय अवधि में घर या दूसरे प्रोजेक्ट नहीं बना पाते थे। इस शर्त के कारण यहां जमीन लेने वाले लोग प्रोजेक्ट पर आगे नहीं बढ़ पाते थे।

शहरी क्षेत्रों में 3 साल में निर्माण नहीं हो पाता था, क्योंकि नगर एवं ग्राम नियोजन (TCP) विभाग से ही अनुमति लेने में लंबा वक्त बीत जाता है। इसी तरह किसी इंडस्ट्रियल यूनिट की सूरत में स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और इंडस्ट्री डिपार्टमेंट इत्यादि से मंजूरियां लेने में भी काफी समय लग जाता है।

हिमाचल में बरसात और सर्दियों में निर्माण कार्य बंद हो जाते हैं। इन सब वजह से 3 साल में लैंड यूज नहीं हो पाता है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने 3 प्लस 2 साल यानी 5 साल में लैंड यूज की इजाजत दे दी है।

नॉन-हिमाचली को जमीन लेने को अनुमति जरूरी
हिमाचल में कोई भी नॉन हिमाचली जमीन नहीं खरीद सकता है। बाहरी राज्य के व्यक्तियों को प्रदेश में मकान, उद्योग व कारखाना इत्यादि लगाने के लिए हिमाचल मुजारियत एवं भू-सुधार अधिनियम 1972 की धारा-118 के तहत जमीन लेनी पड़ती है। तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद राज्य सरकार धारा-118 के तहत अनुमति देती है।

लैंड यूज नहीं होने पर वेस्ट होती है जमीन
सरकार की अनुमति के बाद जमीन लेने वाले व्यक्ति को तय समय में निर्माण करना होता है। तय समय पर लैंड यूज नहीं होने पर उस जमीन को सरकार में वेस्ट (निहित) कर दिया जाता है, लेकिन कई पूर्व नौकरशाह और बड़े औद्योगिक घरानों पर सरकार यह कार्रवाई करने से बचती रही है।

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