पंजाब, सुरेंद्र राणा: धान की खेती से नीचे जा रहे पंजाब के पानी को बचाने के लिए कृषि विभाग ने बासमती के रकबे को दोगुना करने की तैयारी की है। पिछले साल पंजाब में बासमती का 4.95 लाख हैक्टेयर रकबा था। इस बार 7 लाख हैक्टेयर रकबे का लक्ष्य रखा है। अब पंजाब बासमती का ब्रांड बनेगा। चावल सीधा विदेशों में एक्सपोर्ट होगा।
इसके लिए एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी से समझौता किया जा रहा है। 20 एकड़ में बासमती एक्सटेंशन और रिसर्च सेंटर स्थापित होगा। चावल की क्वालिटी जांच के लिए पंजाब की अपनी रेजिड्यू टेस्टिंग लैब होगी।
बासमती के ब्रांडिंग केंद्र व आधुनिक खोज केंद्र भी तैयार होंगे। कृषि माहिरों अनुसार बासमती में धान से पराली बहुत कम होती है, समय व पानी भी कम लगता है, आमदन ज्यादा है। पंजाब की बासमती की डिमांड दुनिया भर में है। 40% बासमती एक्सपोर्ट में पंजाब का योगदान है।
कृषि विभाग अनुसार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (अपेडा) से समझौता हो रहा है। जालंधर में 20 एकड़ जमीन में आधुनिक रेजिड्यू टेस्टिंग लैब बनेगी। किसान लैब टेस्ट के बाद बासमती को विदेशों में एक्सपोर्ट कर सकेंगे। जबकि लैब में मानकों के अनुरुप न आने वाले सैंपलों की बासमती कहीं भी एक्सपोर्ट नहीं हो सकेगी।
एक बासमती एक्सटेंशन और रिसर्च सेंटर भी बनेगा। कृषि विभाग के अनुसार पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज काॅरपोरेशन के सहयोग से अमृतसर के चोगावां ब्लॉक में बासमती का ब्रांडिंग सेंटर स्थापित होगा। जहां से ही बासमती को विदेशों में एक्सपोर्ट किया जा सकेगा। इससे माझा के किसानों को सीधा लाभ होगा। क्योंकि अमृतसर बासमती पैदावार करने में सबसे बड़ा केंद्र है। वहीं सरकार ने तरनतारन में बासमती का आधुनिक खोज केंद्र स्थापित करने का फैसला किया है।
बासमती से पानी की खपत भी बहुत कम होती है। इसे लेट में लगाने का भी कोई नुकसान नहीं है। किसान कम से कम कीटनाशक से पैदावार करें, इसके लिए बीजों में सुधार लाया जाएगा। कृषि विभाग सुधरे हुए बीज मुहैया करवाने की तैयारी कर रहा है। ताकि किसान फसल का अच्छा उत्पादन ले सकें।
डाॅ. गुरविंदर सिंह, डायरेक्टर कृषि विभाग पंजाब
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