हिमाचल की वेब मीडिया पॉलिसी को हाईकोर्ट में चुनौती

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पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: हिमाचल प्रदेश की वेब मीडिया नीति को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। अदालत ने निदेशक लोक संपर्क विभाग को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर दो हफ्ते में निर्णय लें।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश ने मामले का निपटारा करने हुए यह आदेश पारित किए। वरिष्ठ पत्रकार संजय ठाकुर ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि न्यूज वेब पोर्टल के पंजीकरण के लिए विभाग को पूर्ण प्रमाण विकसित करने के आदेश दिए जाएं। साथ ही अपात्र और फर्जी न्यूज वेब पोर्टल को ब्लैक लिस्ट करने के आदेश दिए जाएं।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ने इस गुहार के साथ लोक संपर्क विभाग के निदेशक को प्रतिवेदन दिया है, लेकिन विभाग ने न्यूज पोर्टल को पंजीकृत करने के लिए 15 मार्च 2023 तक आवेदन आमंत्रित किए हैं।

याचिकाकर्ता ने प्रतिवेदन के माध्यम से निदेशक के पास न्यूज वेब पोर्टल के पंजीकरण के लिए विभाग को पूर्ण प्रमाण विकसित करने की गुहार लगाई थी। शिकायत की गई कि वेब मीडिया नीति 2022 में खामिया हैं। इस कारण अपात्र और फर्जी न्यूज वेब पोर्टल अपना पंजीकरण करवा रहे हैं।

विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर विज्ञापन ऐंठने का भी आरोप लगाया गया है। नीति के मुताबिक न्यूज वेबसाइट को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है। ‘ए’ श्रेणी में वेबसाइट के हर माह न्यूनतम 50 हजार यूनिक विजिटर होने चाहिए। ‘बी’ श्रेणी में ये आंकड़ा 35 से 50 हजार का है। ‘सी’ श्रेणी में न्यूनतम 20 हजार यूनिक विजिटर रखा गया है।

फर्जी न्यूज वेब पोर्टल को इन आंकड़ों से छेड़छाड़ करना बहुत आसान है। ऑनलाइन जानकारी हासिल करने वाला ये अंतर नहीं समझ पाता है कि जो सूचना उस तक पहुंच रही है, वो वास्तव में प्रमाणिक स्रोत से आ रही है या नहीं। सोशल मीडिया को भी मुख्य धारा का मीडिया समझा जा रहा था। संभवतया इसी भ्रम को दूर करने के मकसद से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने वेब मीडिया नीति को लागू करने का फैसला लिया है।

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