पंजाब दस्तक: कनाडाई सीमा सुरक्षा एजेंसी (सीबीएसए) ने उन 700 से अधिक भारतीय छात्रों को डिपोर्ट करने का नोटिस जारी किया है, जिनके शैक्षणिक संस्थानों को दाखिले के ऑफर लेटर फर्जी पाए गए थे। टोरंटो से मिली जानकारी के आधार पर मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह 700 छात्र +2 पास करने के बाद, जालंधर की एजुकेशन माइग्रेशन सर्विसेज देने वाली एक कंपनी के माध्यम से एक स्थानीय एजेंट के जरिये कनाडा पहुंचे थे।
एजेंट ने आवेदन फाइलों पर छात्रों को स्व-आवदेक बनाया
समस्या तब शुरू हुई जब सीबीएसए ने छात्रों को दिए वीजा के आधार पर दस्तावेजों की जांच की और प्रवेश प्रस्ताव पत्र को फर्जी पाया। सभी छात्रों को सुनवाई का अवसर देने के बाद डिपोर्ट किए जाने का नोटिस जारी किया गया। बताया गया कि एजेंट ने चालाकी से हमारे वीजा आवेदन फाइलों पर खुद हस्ताक्षर नहीं किए, बल्कि प्रत्येक छात्र किसी भी एजेंट की सेवाओं को काम पर रखे बिना एक स्व-आवेदक था। एजेंट ने ऐसा जानबूझकर किया था।
डिपोर्ट नोटिस को कोर्ट में चुनौती देना एकमात्र उपाय
एकमात्र उपाय यह है कि डिपोर्ट नोटिस को अदालत में चुनौती दी जाए, जहां 3 से 4 साल लग सकते है। कनाडा में वकीलों की सेवाएं लेना बहुत महंगा है। सीबीएसए कनाडा के वीजा और एयरपोर्ट अधिकारियों की विफलता भी नहीं मान रहा है जिन्होंने वीजा जारी किया व सभी दस्तावेजों की प्रामाणिकता जांची।
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