पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा:मान सरकार ने पिछली सरकार के दौरान 39 करोड़ रुपए के पोस्ट-मैट्रिक एससी छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल छह सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। शुक्रवार को वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने संयुक्त रूप से कहा कि करोड़ों रुपए के इस घोटाले की जांच के बाद विभाग को संलिप्तता का पता चला है।
इसके बाद डिप्टी डायरेक्टर परमिंदर सिंह गिल, सुपरडंट (रिटा.) राजिंदर चोपड़ा, सीनियर सहायक राकेश अरोड़ा और बलदेव सिंह समेत छह को बर्खास्त किया गया। वहीं वित्त विभाग से संबंधित डीसीएफए (रिटा.) चरनजीत सिंह और सेक्शन अफ़सर मुकेश भाटिया संबंधी फ़ैसला लेने के लिए केस वित्त विभाग को भेजा जाएगा। आगे की जांच विजिलेंस करेगा।
बलजीत कौर ने बताया कि यह घोटाला 2019 में कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था और 55 करोड़ की गड़बड़ी का पता चला था, जिसमें से 16 करोड़ से अधिक का एक्सेस भुगतान कुछ कॉलेजों को आवंटित किया गया था। सभी दोषी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, उन्हें करोड़ों का लाभ पहुंचाया गया।
मंत्री ने बताया कि जांच में पाया गया कि 39 करोड़ रुपए की शेष राशि का कोई सबूत नहीं है, जो कांग्रेस सरकार के दौरान कुछ फर्जी कॉलेजों को वितरित की गई थी, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को क्लीन चिट दे दी थी।
मंत्री ने कहा कि विभागीय जांच में पता चला है कि अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति के वितरण की अनदेखी की गई और कुछ निजी संस्थानों को अनुचित लाभ दिया गया।
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