पंजाब दस्तक, सुरेंद्र राणा: जनवरी के वेतन में भी कर्मचारियों और राज्य सरकार का न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) का शेयर कट गया। यानी कर्मचारियों के लिए कांग्रेस अपनी पहली गारंटी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) सरकार बनने के 52 दिन बाद भी लागू नहीं कर पाई।
कांग्रेस ने सत्ता में आते ही 10 दिन में और पहली कैबिनेट बैठक में ओपीएस लागू करने का वादा किया था। कहां कांग्रेस सरकार केंद्र से कर्मचारियों का एनपीए का पैसा वापस लाने की बात कर रही थी, यहां तो फिर से कर्मचारियों और सरकार का हिस्सा केंद्र सरकार के संबंधित प्राधिकरण में जमा करने की प्रक्रिया चल पड़ी।
विभाग जनवरी का वेतन और पेंशन बनाने के लिए सरकार के अगले आदेश का इंतजार करते रहे, जब स्थिति साफ नहीं हुई तो फिर पुराने ढर्रे पर ही एनपीएस की कटौती कर ली। कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने वाला मुख्य मुद्दा ओपीएस लागू करना सरकार के लिए अब टेढ़ी खीर बन गया है।
मुख्य सचिव ओपीएस लागू होने से पहले ही कह चुके थे कि सरकार के पास इसे लागू करने के लिए ए और बी प्लान दोनों हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व की कैबिनेट ने लोहड़ी के दिन राज्य के कर्मचारियों को ओपीएस का तोहफा देने का एलान किया था।
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