कांग्रेस के ‘बादल’ अब भाजपा में, वड़िंग से अनबन; पार्टी में उपेक्षा भाजपा में जाने का बड़ा कारण

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पंजाब दस्तक: वरिष्ठ नेता मनप्रीत बादल ने बेशक कांग्रेस को अलविदा कहते हुए पार्टी में गुटबाजी का हावी होना मुख्य कारण रहा। लेकिन माना जा रहा है कि मालवा के ही वरिष्ठ नेता और इस समय पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर राजा वड़िंग से रही उनकी अनबन उनके पार्टी छोड़ने का बड़ा कारण बनी। सितंबर 2021 में जब कांग्रेस सरकार में बदलाव हुआ तब से ही मनप्रीत बादल ने नई सरकार से दूरियां बनानी शुरू कर दी थी।

हालांकि चुनाव में वे सक्रिय हुए थे, लेकिन पार्टी के विधानसभा चुनाव हारने के बाद मनप्रीत बादल ने कांग्रेस में सक्रियता कम कर दी थी। पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार आने के बाद वे सूबे की राजनीति से लगभग 10 महीने से दूर ही नजर आ रहे थे। जब वड़िंग पूर्व में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर बने तो उन्होंने मनप्रीत के वित्त मंत्री होने के बाजवूद उनसे दूरी ही बना कर रखी। जबकि वित्त मंत्री ने वड़िंग के विधानसभा क्षेत्र में ग्रांट वितरित करने को लेकर दोनोें नेताओं में आपसी भारी स्तर पर तकरार रहा।

ऐसे शुरू हुईं मनप्रीत-वड़िंग में दूरियां

मनप्रीत ने बतौर वित्त मंत्री रहते राजा वड़िंग के विधानसभा क्षेत्र गिद्डबाहा में विशेष तौर पर ग्रांट का चेक बांटने का काम किया। इस कार्रवाई से खफा होकर वड़िंग ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से शिकायत की तो कैप्टन ने वड़िंग की बात को गंभीरता से लेते हुए मनप्रीत को ऐसा न करने को कहा। इससे मनप्रीत खफा थे।

विधानसभा चुनाव में मनप्रीत को हराने में प्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं की अहम भूमिका रही। इन तथ्यों को मनप्रीत ने हाईकमान को बताया तो नेताओं से जवाब तलबी करने के बजाय उनको नजरअंदाज करना ही बेहतर समझा गया। यानी मनप्रीत की यहां भी नहीं सुनी गई।

मनप्रीत के करीबियों को जिम्मेदारियों से दूर रखा गया। जिला पदाधिकारियोें की नियुक्तियोें में बादल के करीबियोें को दूर रखने को लेकर वह काफी आहत हुए।

फिर मालवा से वरिष्ठता सूची में उन्हें दरकिनार कर वड़िंग को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाना भी उन्हें नागवार गुजरा। इसके बाद पार्टी की सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। गिद्दडबाहा में उनकी वड़िंग से नाराजगी बरकरार रही। पार्टी के एक एक कर उन वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी जो उनके साथी रहे। इसलिए अब मनप्रीत बादल ने भी भाजपा में जाना उचित समझा।

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