पंजाब दस्तक: नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के 26 सप्ताह के गर्भ को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गिराने की मंजूरी दी है। कोर्ट ने कहा, दुष्कर्म के बाद पैदा हुआ बच्चा पीड़िता को उससे हुए अपराध व पीड़ा की याद दिलाता रहेगा। यह उसके शरीर व आत्मा के साथ हुए निर्मम अपराध की गवाही है।
कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड के डायरेक्टर को आदेश दिए कि पीड़िता का शीघ्र गर्भपात किया जाए। 16 साल की पीड़िता ने कोर्ट में कहा, वह नाबालिग है। वह खुद आत्मनिर्भर नहीं है व इस बच्चे की देखभाल करने के लायक भी नहीं है। पढ़ाई पूरी करनी है, जीवन में तय लक्ष्य हासिल करना है।
जीवन सांस लेना ही नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि जीवन सिर्फ सांस लेने का नाम नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति सम्मान के साथ जीवन यापन करना चाहता है। ऐसे में सम्मान न मिलने पर मां व बच्चे दोनों को ही पीड़ा व अन्याय की भावना से गुजरना पड़ता है।
पिता ने दायर की थी याचिका
पीड़िता की तरफ से उसके पिता ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट से गर्भपात की अनुमति मांगी थी। नूंह पुलिस ने दुष्कर्म, अपहरण समेत पॉक्सो एक्ट के तहत 21 अक्टूबर, 2022 को केस दर्ज किया था।
अनचाहे बच्चे को पैदा करने के बाद पूरा जीवन तानों भरा रहेगा..
एक अनचाहे बच्चे को पैदा होने के बाद तानों से भरा जीवन जीने की संभावना रहती है। इससे परेशान होकर बच्चा व मां दोनों को अलग-थलग जीवन जीना पड़ सकता है। दोनों ही परिस्थितियों में मां और बच्चे को सामाजिक कलंक झेलना पड़ता है और पूरी जिंदगी परेशानी में बितानी पड़ती है। यह दोनों ही बातें परिवार और मां के लिए सही नहीं हैं।
-जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने अपने फैसले के दौरान ये बात कही।
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