शिमला, सुरेंद्र राणा: राजनीति में केवल विचारधारा का भेद होता हैं. चुनावी माहौल में पार्टियों के चक्कर में लोग एक दूसरे के दुश्मन बन बैठते हैं जबकि सियासतदानो का इससे कोई लेना देना नहीं होता हैं ये हम नहीं कहते यह साबित होता हैं जब चुनावों में अलग अलग रिश्तों में बंधे लोग अलग अलग पार्टियों से जुड़कर टिकट हासिल कर सत्ता की दहलीज का सफर तय करते हैं. इनमें किसी की एक की हार निश्चित हैं लेकिन रिश्ता बरकरार रहेगा.
यह भी कहा जाता हैं कि राजनीति में न कोई अपना होता है न पराया. हिमाचल की सियासत में ऐसा हो देखने को मिल रहा है. जहाँ कंही मामा -भांजा, चाचा भतीजा तो कहीं दामाद- ससुर चुनावी मैदान में एक दूसरे के खिलाफ़ चुनाव लड़ रहे हैं.
कुल्लू में तो बाप को बेटे की हठ के आगे टिकट तक से हाथ धोना पड़ा. बाप बेटे के बीच रिश्तों की खटास बाप पर भारी पर गई. कुल्लू से भाजपा ने महेश्वर सिंह को उम्मीदवार बनाया तो बेटे हितेश्वर सिंह ने बंजार से आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनावी ताल ठोक दी. जिससे नाराज भाजपा हाईकमान ने कुल्लू में पूर्व विधायक व सांसद महेश्वर सिंह की टिकट काट दी. पिता महेश्वर सिंह पुत्र को मनाने में असफल रहे और पुत्र मोह में अपनी टिकट की बलि दे दी. महेश्वर सिंह का इस पर कहना था कि आज के समय में बच्चे किसी के वश में नहीं है और बेटे को मनाने की उनकी ठेकेदारी भी नहीं है.
सोलन सीट पर ससुर दामाद चुनावी दंगल में आमने सामने हैं. ससुर डा. धनी राम शांडिल (कांग्रेस) व दामाद डा. राजेश कश्यप (भाजपा) की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 2017 के चुनावों में भी शांडिल व राजेश कश्यप आमने सामने थे और उसमें जीत कांग्रेस प्रत्याशी धनीराम शांडिल की हुईं थी. इस बार फिर से दोनों दलों ने ससुर दामाद पर दांव खेला है. दोनों के बीच टक्कर कड़ी है. रिश्तों के इस ताने बाने में जीत किसी की भी हो रिश्तों की हार भी होगी जीत भी.
ऊना के कुटलैहड़ में इस बार मामा व भांजे के बीच चुनावी टक्कर है. यहां भाजपा प्रत्याशी मंत्री वीरेंद्र कंवर का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र भुट्टो के साथ हो रहा है. जो रिश्ते में वीरेंद्र कंवर के भांजे हैं यहां भी मामा भांजे का रिश्ता राजनीतिक दांव पर लगा हुआ है.
वहीं मंडी में बहन ने ही भाई के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. मंडी जिला में सबसे अधिक रोचक मुकाबला धर्मपुर में होना था लेकिन जलशक्ति मंत्री महेंद्र ठाकुर ने परिवार के बीच होने वाली राजनीतिक जंग के दुष्परिणामों को भांपते हुए समय रहते बेटी को मनाकर क्षति नियंत्रण कर लिया. पिता महेन्द्र सिंह ठाकुर की मध्यस्यताके बाद भाई दूज पर भाई बहन एक हो गए. अब उनका बेटा रजत ठाकुर धर्मपुर से भाजपा का प्रत्याशी है और दामाद संजीव भंडारी जोगिंदर नगर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
जनजातीय क्षेत्र चंबा भरमौर में भी एक और रिश्ते पर राजनीति महत्वकांक्षा हावी है. यहां भरमौर विधान सभा में चाचा-भतीजा में चुनावी जंग हैं. भाजपा प्रत्याशी डा. जनकराज डॉक्टर् की नोकरी छोड़कर राजनीति में कुद पड़े हैं. जनक कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी के रिश्ते में चाचा हैं. इस सीट पर पहली बार भाजपा प्रत्याशी डॉ जनक राज अपने चाचा के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर द्रंग विधानसभा क्षेत्र व उनकी बेटी मंडी सदर से चुनाव लड़ रही हैं. पिता पुत्री दोनों कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.