पंजाब दस्तक: पंजाब के CM भगवंत मान और गवर्नर के बीच खींचतान में अब AAP विधायक गुरदेव सिंह देव मान भी कूद गए हैं। नाभा से विधायक गुरदेव सिंह देव मान ने गवर्नर के खिलाफ विवादित टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि गवर्नर केवल वही बोलते हैं जो उन्हें आदेश दिया जाता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके पास थोड़ा ही समय बचा है। जिन्हें कुछ नहीं मिलता, उन्हें गवर्नर बना दिया जाता है।
देव मान ने कहा कि कानून के अनुसार गवर्नर को बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि CM भगवंत मान सब कुछ कानून के मुताबिक कर रहे हैं। यहां तक की देव मान यह कहने से भी नहीं चूके कि गवर्नर चाहे तो नाभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ लें। फिर भी वह गवर्नर का सम्मान करते हैं।
पंजाबी और अंग्रेजी भाषा में 2 लेटर भेजे
लेटर विवाद पर विधायक देव मान ने कहा कि हमने गवर्नर को पंजाबी और अंग्रेजी भाषा में 2 लेटर भेजे हैं, वह जो पढ़ना चाहते हैं पढ़ लें। देव मान ने कहा कि इतने बड़े पद पर बैठकर इस प्रकार से सरकार के कामकाज को प्रभावित करना गवर्नर के लिए ठीक नहीं है।
21 अक्टूबर को की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
वहीं बीती 21 अक्टूबर की रात मामले में गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने को मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने पंजाब सरकार को नियमों की जानकारी देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी के मामले में वह नहीं, बल्कि राज्य सरकार हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा कि वह गवर्नर के साथ यूनिवर्सिटी के चांसलर है और बोर्ड का चेयरमैन चांसलर होता है। ऐसे में VC की नियुक्ति भी चांसलर को बताकर करना आवश्यक रहता है।
गवर्नर ने 27 VC किए हैं नियुक्त
गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने कहा था कि वह 4 साल तक तमिलनाडु के गवर्नर रहे। वहां 20 यूनिवर्सिटी हैं और वहां VC की सीट 40-45 करोड़ रुपए में बिकती थी। गवर्नर ने कहा कि मैंने वहां सब कुछ ठीक किया और अपने कार्यकाल के दौरान 27 VC नियुक्त किए। यदि पंजाब सरकार VC को नहीं हटाती तो वह लीगल एडवाइज लेंगे।
CM मान ने पब्लिक में अलग और गवर्नर को भेजा अलग लेटर
PAU में VC की नियुक्ति के मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब CM भगवंत मान ने अपने ट्विटर पर और मीडिया को गवर्नर को भेजा पंजाबी का लेटर पढ़ाया। जबकि CM भगवंत मान ने गवर्नर हाउस को अंग्रेजी में अलग रिक्वेस्ट लेटर भेजा था। इस कारण गवर्नर को पंजाब सरकार से पूछना पड़ा कि किस लेटर को सही माना जाए।
दखलअंदाजी न करने को चेताया
पंजाबी में लिखे लेटर में गवर्नर को सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी नहीं करने को चेताया गया था, जबकि अंग्रेजी के लेटर में उन्हें VC के फैसले पर पुनर्विचार का निवेदन किया गया है।
+ There are no comments
Add yours