शिमला, सुरेंद्र राणा, शिमला शहर के वार्डों की डिलिमिटेशन के बाद उपजे विवाद के बाद जहां याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में पुनर्सीमांकन और बाहरी विस क्षेत्रों के संबंधित वोटरों को लेकर याचिका डाली हुई है, वहीं राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से भी सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। इनकी सुनवाई न होने के कारण नगर निगम चुनाव में पेंच फंसा हुआ है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट को इस मामले को जल्द सुलझाने के आदेश दिए है, लेकिन बुधवार को हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई 27 सितंबर तक टल गई है। यानी अब इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय में 26 सितंबर को सुनवाई होनी है। उधर, शिमला नगर निगम की मतदाता सूची में बाहरी विस क्षेत्रों से संबंधित मतदाताओं को शामिल न करने के प्रावधान को भी प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। कुणाल वर्मा द्वारा दायर याचिका पर भी 27 सितंबर के लिए सुनवाई टल गई है।
ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के फेर में इस मर्तबा नगर निगम चुनाव लटके हुए हंै। नगर निगम शिमला के 34 सालों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि समय पर चुनाव नहीं हुए है और 18 जून को पूरे हुए नगर निगम के कार्यकाल के बाद नगर निगम बिना नुमाइंदों के चल रही है। शहर के 34 वार्डों को बढ़ाकर इसका दायरा 41 कर दिया गया है, लेकिन पांच वार्डों की वोटर लिस्ट और मतदान केंद्रों की सूची बनाई जानी बाकी है। ऐसे में विस चुनाव का शोरगुल भी शुरू हो गया है और आगामी माह इसकी घोषणा के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में राज्य व जिला निर्वाचन आयोग की टीमें विस चुनाव करवाने में जुट जाएगी और नगर निगम के पांच वार्डों की मतदाता सूचियों व पोलिंग बूथों का काम अधर में लटक जाएगा।
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