पंजाब दस्तक, डेस्क, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। यह दिन पूरी तरह भगवान शिव के प्रिय नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है।
पौराणिक मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक काल से ही सांपों को देवताओं की तरह पूजने की परंपरा रही है।
इस दिन नाग पूजा करने की परंपरा है, लेकिन हमें जीवित सांप की पूजा नहीं करनी चाहिए, बल्कि शिव मंदिर में या नाग मंदिर में नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। नाग की पूजा करने से सांपों के कारण होने वाला किसी भी प्रकार का भय समाप्त हो जाता है। नौचंदी स्थित श्रीबालाजी मंदिर के आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को मंगलवार दिन के साथ उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शिव योग मिल रहा है, जो अत्यंत ही शुभ है। पंचमी तिथि सूर्योदय से आरंभ होकर पूरा दिन और रात रहेगी।
नक्षत्रों का मिलन योग
इसी दिन उत्तराफाल्गुनी और हस्त दोनों ही नक्षत्रों का मिलन योग भी रहेगा। हस्त नक्षत्र, शिव और सिद्ध योग के साथ कन्या राशि में चंद्रमा के साथ पूजा करने से पर्व का महत्व बढ़ गया है। वहीं, आज नाग पंचमी पर जागृति विहार स्थित मनसा देवी मंदिर में प्राकटय दिवस मनाया जाएगा। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित भगवत गिरी ने बताया कि माता मनसा नागकुल की देवी हैं। नाग पंचमी पर उनका प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। मनसा देवी मंदिर में माता का भव्य श्रृंगार होगा और 111 किलो खीर का भोग लगेगा।
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