शिमला, सुरेंद्र राणा, आज एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित की नई सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ राजभवन के बाहर धरना प्रदर्शन किया और अग्निपथ को एक आपदा माना है व भारत की संप्रभुता के लिए खतरा बताया है। केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों से नियमित सैन्य भर्ती नहीं करवाई है।जिसके चलते 2021 तक भारतीय सेना में 104,653 कर्मियों की कमी थी। इन पदों को भरने की बजाए केंद्र सरकार ने अब क्षेत्रीय कोटा को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला किया है, और 6 महीने की प्रशिक्षण अवधि सहित चार साल की अल्प-अवधि की भर्ती योजना के साथ जाने का फैसला किया है। चार साल बाद लगभग तीन-चौथाई सैनिक बिना पेंशन या ग्रेच्युटी के सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
एसएफआई राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि इस नीति के परिणामस्वरूप हर साल अन्य काम की तलाश में लगभग 35,000 बेरोजगार और शामिल होंगे, जिससे समय के साथ समाज का सैन्यीकरण होगा। यह नीति हमारी संप्रभुता की रक्षा करने वाले सुरक्षा बलों के मनोबल और व्यावसायिकता को भी काफी प्रभावित करेगी। सशस्त्र बलों ने हर साल लाखों युवाओं के लिए सुरक्षित और दीर्घकालिक रोजगार के स्रोत भी प्रदान किए है। यह नीति इस संभावना को भी खत्म कर लेंगी ।यह नीति केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अपनाए जाने वाले नव-उदारवादी रास्ते के तहत हर संभव कार्य का संविदाकरण करने की योजना में शामिल है। इस नीति के परिणाम स्वरूप देश में कामकाजी लोगों की नौकरी की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता का पूर्ण विनाश होना निश्चीत है। इस नीति के माध्यम से सरकार ने दुनिया की साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा प्रशिक्षित और बेरोजगार सैनिकों की भाड़े पर भर्ती के दरवाजे भी खोल दिए हैं।
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया भारतीय लोगों और हमारी संप्रभुता पर इन नव-उदारवादी हमलों का पुरजोर विरोध करता है। एसएफआई अग्निपथ योजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने और सशस्त्र बलों में नियमित भर्ती करने की मांग करती है।
इन्ही मांगो को लेकर आज 17 जून को SFI व DYFI शिमला में राज्यपाल भवन के बाहर प्रदर्शन किया।
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