पंजाब दस्तक डेस्क; पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद राज्यसभा की संख्या पर काफी असर पड़ने वाला है और इस बात की भी संभावना है कि पार्टी अब संसद के ऊपरी सदन (राज्यसभा) में विपक्ष के नेता का दर्जा खो दे.
इस साल उच्च सदन के लिए द्विवार्षिक चुनाव होने के बाद, कांग्रेस की संख्या ऐतिहासिक रूप से कम होगी और विपक्ष के नेता की स्थिति को बनाए रखने के लिए जरूरी न्यूनतम संख्या के करीब होने की गुंजाइश है.
नियमों के अनुसार, एक पार्टी के पास सदन की कुल सदस्यता का कम से कम 10 प्रतिशत होना चाहिए, तभी उसे अपने नेता के लिए विपक्ष के नेता का दर्जा प्राप्त हो सकता है. राज्यसभा के अधिकारियों ने कहा कि सदन में विपक्ष के नेता का दर्जा बरकरार रखने के लिए एक पार्टी में अपने नेता के लिए कम से कम 25 सदस्य होने चाहिए.
अगर कांग्रेस इस साल के अंत में गुजरात चुनावों और फिर अगले साल कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहती है, तो यह उच्च सदन के बाद के द्विवार्षिक चुनावों में विपक्ष के नेता का रुतबा खो सकती है. कांग्रेस के पास वर्तमान में उच्च सदन में 34 सदस्य हैं और इस साल रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के लिए उसे कम से कम सात सीटों का नुकसान होगा.
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