पंजाब दस्तक(सुरेन्द्र राणा); पंजाब में बदलाव की आंधी ने सारे सियासी समीकरण धो डाले हैं। आम आदमी पार्टी ने इसी की बदौलत क्लीन स्वीप कर दिया। पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों से चली ‘बदलाव’ की हवा शहरों में भी फेल गई। पंजाब के लोगों में इस बार एक ही बात कॉमन रही और वो ये कि 75 साल से बदल-बदलकर सरकार बना रही कांग्रेस और अकाली दल को बदलना जरूरी है। लोागें के इसी माइंडसेट ने ‘झाड़ू’ के पक्ष में काम किया।
बदलाव की लहर के आगे डेरा और दलित फैक्टर भी फेल हो गया। पंजाबियों ने यह मौका सिर्फ भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल को दिया है। अकाली दल का 5 साल बाद सत्ता में आने का सपना चकनाचूर हो गया। वहीं कांग्रेस को साढ़े 4 महीने की कलह ले डूबी। चन्नी के 111 दिन में लिए चुनावी फैसले भी कोई चमत्कार नहीं दिखा सके।
पंजाब की 117 सीटों में से 69 सीटों वाले मालवा में AAP ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए क्लीन स्वीप कर दिया। माझा में भी आप का दबदबा दिखा और दोआबा में भी वह विरोधी पार्टियों के लिए कड़ी चुनौती बन गए।पंजाब में 53 साल बाद त्रिशंकु विधानसभा के सियासी संकेत थे लेकिन लोगों ने हर बार की तरह इस बार भी आम आदमी पार्टी को स्पष्ट बहुमत दे दिया।
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